Monday, June 11, 2012

प्रो० नामवर सिंह


"हाइकु एक संस्कृति है, एक जीवन-पद्धति है। तीन पंक्तियों के लघु गीत अपनी सरलता, सहजता, संक्षिप्तता के लिए जापानी-साहित्य में विशेष स्थान रखते हैं। इसमें एक भाव-चित्र बिना किसी टिप्पणी के, बिना किसी अलंकार के प्रस्तुत किया जाता है, और यह भाव-चित्र अपने आप में पूर्ण होता है।"
-प्रो० नामवर सिंह
[ हाइकु पत्र, 1 फरवरी 1978]

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